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: चिकित्सा चन्द्रोदय । .. वर्णा-छै तरहकी चींटियाँ लिखी हैं । इनके काटनेसे काटी हुई जगहपर सूजन, शरीरके और स्थानोंमें सूजन और आगसे जल जानेकी-सी जलन होती है।
खेतों और घरोंमें चींटे, काली चींटी और लाल चींटी बहुतः देखी जाती हैं। इनके दलमें असंख्य-अनगिन्ती चोंटी-चींटे होते हैं। अगर इन्हें मिठाई या किसी भी मीठी चीज़का पता लग जाता है, तो दल-के-दल वहाँ पहुँच जाते हैं। ये सब अँगरेजी फौजकी तरह कायदेसे क़तार बाँधकर चलती हैं। इनके सम्बन्धमें अँगरेजी ग्रन्थों में बड़ी अद्भुत-अद्भुत बातें लिखी हैं। यह बड़ा मिहनती जीव है।
लाल-काली चींटी और बड़े-बड़े चींटे, जिन्हें मकोड़े भी कहते हैं, सभी आदमीको काटते हैं । चींटा बहुत बुरी तरहसे चिपट जाता है। काली चींटीके काटनेसे उतनी पीड़ा नहीं होती, पर लाल, चींटीके काटनेसे तो आग-सी लग जाती और शरीरमें पित्ती-सी निकल आती है। अगर यह लाल चोंटी खाने-पीनेके पदार्थों में खा ली जाती है, तो फौरन पित्ती निकल आती है, सारे शरीरमें ददोरेहीददोरे हो जाते हैं। अतः पानी सदा छानकर पीना चाहिये और खानेके पदार्थ इनसे बचाकर रखने चाहिये और खूब देख-भालकर खाने चाहिए।
चींटियोंसे बचनेके उपाय ।
(१) चींटियोंके बिलमें "चकमक पत्थर" रखने और तेलकी धूनी देनेसे चींटियाँ बिल छोड़कर भाग जाती हैं । कड़वे तेलसे चींटे-चींटी बहुत डरते हैं। अतः जहाँ ये जियादा हों, वहाँ. कड़वे तेलके छींटे मारो और इसी तेलको आगपर डाल-डालकर धूनी दो।
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