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बर्रके विषकी चिकित्सा।
२६५ (२) सोया और सेंधानोन एकत्र पीसकर, धीमें मिलाकर; लेप करनेसे मक्खीका विष नाश हो जाता है। परीक्षित है। . ( ३) केशर, तगर, सोंठ और कालीमिर्च-इन चारोंको एकत्र पीसकर लेप करनेसे मक्खीके डंककी पीड़ा शान्त हो जाती है। ..
(४) मक्खीके काटे स्थानपर सेंधानोन मलनेसे जहर नहीं चढ़ता।
(५) मक्खीकी काटी हुई जगहपर सिंगीमुहरा पानीमें घिसकर लगा देना अच्छा है।
(६) मक्खीके काटे हुए स्थानपर आकका दूध मलनेसे अवश्य जहर नष्ट हो जाता है।
नोट-बर्र और मक्खीके काटनेसे एक समान ही जलन, दर्द और सूजन वगरः उपद्रव होते हैं, इसलिये “तिब्बे अकबरी” में लिखा है, जो दवाएं बरके ज़हरको नष्ट करती हैं, वही मक्खीके विषको शान्त करती हैं। हमने बरके काटनेपर नीचे बहुतसे नुसखे लिखे हैं, पाठक उनसे मक्खीके काटने पर भी काम ले सकते हैं।
065038B0308088949880 ० बरके विषकी चिकित्सा।
02869000849696868680 NeANC% कमतकी किताबोंमें लिखा है, बर्रके डंक मारनेसे लाल
हि लाल सूजन और घोर पीड़ा होती है। एक प्रकारकी बर्र Saxse और होती है, जिसका सिर बड़ा और काला होता है तथा उसके ऊपर बूंदें होती हैं। उसके काटनेसे दर्द बहुत ही ज़ियादा होता है। कभी-कभी तो मृत्यु हो जाती है।
"चरक" में लिखा है, कणभ-भौंरा विशेषके काटनेसे विसर्प, सूजन, शूल, ज्वर और वमन--ये उपद्रव होते हैं और काटी हुई जगहमें विशीर्णता होती है।
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