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चिकित्सा-चन्द्रोदय। (८) कनेरके पत्तोंका स्वरस जमीन और दीवारोंपर बारम्बार छिड़कते रहनेसे मच्छर भाग जाते हैं।
(६) शरीरपर बादामका तेल मलकर सोनेसे मच्छर नहीं काटते । गन्धकको महीन पीसकर और तेलमें मिलाकर, उसकी मालिश करके नहा डालनेसे मच्छर नहीं काटते; क्योंकि नहानेपर भी, गन्धक और तेलका कुछ-न-कुछ अंश शरीरपर रहा ही आता है। - (१०) मकानकी दीवारोंपर पीली पेवड़ीका या और तरहका पीला रंग पोतनेसे मच्छर नहीं आते । पीले रंगसे मच्छरको घृणा है और नीले रंगसे प्रेम है। नीले या ब्ल्यू रंगसे पुते मकानोंमें मच्छर बहुत आते हैं।
(११) अगर चाहते हो कि, हमारे यहाँ मच्छरोंका दौर-दौरा कम रहे, तो आप घरको एकदम साफ़ रखो, कोने-कजौड़ेमें मैले कपड़े या मैला मत रखो। घरको सूखा रखो। घरके आस-पास घास-पात या हरे पौधे मत रखो। जहाँ घास-पात, कीचड़ और अँधेरा होता है, वहीं मच्छर जियादा आते हैं ।
(१२) मच्छरोंसे बचने और रातको सुखकी नींद सोनेके लिये, पलँगोंपर मसहरी लगानी चाहिये । इसके भीतर मच्छर नहीं आते। बंगालमें मसहरीकी बड़ी चाल है । यहाँ इसीसे चैन मिलता है ।
(१३) घोड़ेकी दुमके बाल कमरोंके द्वारोंपर लटकानेसे मच्छर कम आते हैं।
• (.१४) भूसी, गूगल, गन्धक और बारहसिंगेके सींगकी धूनी देनेसे मच्छर भाग जाते हैं।
DIK मच्छर-विष-नाशक नुसखे । ME..... .......... .... * (१) डाँसके काटे हुए स्थानपर "प्याजका रस" लगानेसे तत्काल आराम हो जाता है।
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