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मच्छर-विष-चिकित्सा।
२६१ (४) काले मच्छर। (५) पहाड़ी मच्छर।
इन सभी मच्छरोंके काटनेसे स्थान सूज जाता है और खुजली बड़े जोरसे चलती है। "चरक" में लिखा है, मच्छरके काटनेसे कुछ-कुछ सूजन औए मन्दी-मन्दी पीड़ा होती है । असाध्य कीड़ेके काटे घावकी तरह, मच्छरका घाव भी कभी-कभी असाध्य हो जाता है। पहले चार प्रकारके मच्छरोंका काटा हुआ तो दुःख-सुखसे आराम हो भी जाता है, पर पहाड़ी मच्छरोंका विष तो असाध्य ही होता है। इनके काटेको अगर मनुष्य नाखूनोंसे खुजला लेता है, तो अनेक फुन्सियाँ पैदा हो जाती हैं, जो पक जाती और जलन करती हैं। बहुधा पहाड़ी मच्छरोंके काटे आदमी मर भी जाते हैं।
नोट--शरीरपर बादामका तेल मलकर सोनेसे मच्छर नहीं काटते ।
1 मच्छर भगानके उपाय ।
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(१) सनोवर की लकड़ीकी भूसी या उसके छिलकोंकी धूनी देनेसे मच्छर भाग जाते हैं।
(२) छरीला और फिटकरी की धूआँसे मच्छर भाग जाते हैं। (३) सरू की लकड़ी और सरू के पत्ते बिछौनेपर रखनेसे मच्छर खाटके पास नहीं आते।
(४) इन्द्रायणका रस या पानी मकानमें छिड़क देनेसे पिस्सू भाग जाते हैं।
(५) गन्धककी धूनी या कनेरके पत्तोंकी धूनी से पिस्सू भाग जाते हैं।
(६) सेहकी चरबी लकड़ीपर मलकर रख देनेसे उसपर सारे पिस्सू इकट्ठे हो जाते हैं।
(७) कुदरुके गोंदकी धूनी देनेसे भी मच्छर भाग जाते हैं।
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