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[ त ] दिनमें या महीने दो महीनेमें आराम हो ही जायगा। अगर साँस पूरे हो गये हैं, तो किसी तरह बचेगा नहीं और बचनेकी कोई उम्मीद बाक़ी भी नहीं है। ऐसी निराशाजनक अवस्था होनेपर भी, रोगीकी हालत अगर ठीक कल सवेरे सुधर जायगी और चार-पाँच दिनमें रोगी निरोग हो जायगा। नाथ ! हमने आपके कई करिश्मे पहले तो देखे ही हैं, पर आज फिर देखनेकी इच्छा है। हमारी प्रार्थना स्वीकार हुई । हमारी केवल एक गोली खानेके बाद, सवेरे ही मरीजाने कहा"आज मेरी तबियत कुछ ठीक जान पड़ती है।" इसके बाद मरीजा जैसे चंगी हुई, हम लिख ही चुके हैं। पाठक ! इस चमत्कारको देखकर, हम तो उस मोहनपर मोहित हो गये-सब तरह उसके हो गये । कहिये, आप भी उसके होंगे या नहीं ?
विनीत
हरिदास।
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