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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७३ बिच्छू-विष-नाशक नुसख्ने । सेंधानोन मिले हुए घीसे डंक मारे स्थानको बारम्बार सींचना चाहिये । बिजौरेके रस और गोमूत्रमें पिसे हुए सँभालूके फूलोंका लेप करना चाहिये अथवा ताज़ा गोबर या खलीको गरम करके, उनका सुहाता-सुहाता लेप करना चाहिये अथवा इन्हें सुहाता-सुहाता गरम बाँध देना चाहिये। पीनेके लिये घी और शहद मिला हुआ दूध या ज़ियादा चीनी डाला हुअा दूध देना चाहिये। .. (८२) हल्दी, सेंधानोन, सोंठ, मिर्च, पीपर और सिरसके फल या फूल-इन सबका चूर्ण बना लो। बिच्छूकी डंक मारी हुई जगहको स्वेदित करके, इसी चूर्णसे उसे घिसना चाहिये । नोट-बिच्छूकी डंक मारी हुई जगहमें पसीना निकालनेको महर्षि वाग्भट्टने जिस तरह अच्छा कहा है, उसी तरह “तिब्बे अकबरी'के लेखकने भी इसे अच्छा बताया है। (८३) बिच्छूके काटे स्थानपर पहले जरा-सा चूना लगाओ, फिर ऊपरसे गंधकका तेजाब लगा दो। फौरन आराम हो जायगा। परीक्षित है। (८४ ) बबूल के पत्तोंको चिलममें रखकर, तमाखूकी तरह पीने और साथ ही डंक-स्थानपर मदारका दूध लगानेसे बिच्छूका जहर उतर जाता है। परीक्षित है। (८५) काष्टिक या कार्बोलिक एसिडसे बिच्छूके काटे स्थानको जला दो । आराम हो जायगा; विष ऊपर नहीं चढ़ेगा। .. (८६) बिच्छूकी काटी हुई जगहपर ऐमोनिया लगाओ और उसे ही नाकमें भी सुंघाओ। नोट-अगर बिच्छू बहुत ज़हरीला हो, शरीरमें पसीने बहुत पाते हों, तो .शरीरको गरम रखनेवाली काई दवा दो और चाय या काफी पिलाते रहो। (८७) बेरकी पत्तियोंको पानीके साथ पीसकर, बिच्छूके काटे स्थानपर लेप करनेसे जहर उतर जाता है। (८८) लाल और गोल लटजीरेके पत्ते खानेसे तत्काल बिच्छूका ज़हर उतर जाता है और मनुष्य सुखी हो जाता है। ३५ For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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