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चिकित्सा-चन्द्रोदय । साथ पीसकर बिच्छूके काटे हुए स्थानपर लेप करनेसे फौरन आराम होता है । परीक्षित है।
(६६) रविवारके दिन खोदकर लाई हुई कपासकी जड़ चबानेसे बिच्छूका विष उतर जाता है । परीक्षित है ।
(६७) कड़वे नीमके पत्ते या उसके फूलोंको चिलममें रखकर, तम्बाकूकी तरह, पीनेसे बिच्छूका विष नष्ट हो जाता है। परीक्षित है।
नोट--कड़वे नीमके पत्ते चबानो और मुखसे भाफ न निकलने दो। जिस तरफ़के अङ्गमें बिच्छूने काटा हो, उसके दूसरी तरफ़के कानमें फूंक मारो। इन उपायोंसे बड़ी जल्दी आराम होता है। परीक्षित है।
नोट- कसौदी या नीमके पत्तोंको मुंहमें चबाकर बिच्छूके काटे हुएके कानमें फूंक मारनेसे भी बिच्छूका ज़हर उतर जाता है। वैद्यकमें लिखा है
यः कासमई पत्रं वदने प्रक्षिप्य कर्णफूत्कारम् । मनुजो ददाति शीघ्र जयति विषं वृश्चिकानां सः ॥
सूचना-कसैौदी या नीमके पत्तोंको वह न चबावे, जिसे बिच्छूने काटा हो, पर दूसरा आदमी चबावे और मुंहकी भाफ बाहर न जाने दे। जिसे काटा होगा, वह खुद चबाकर अपने ही कानोंमें फूंक किस तरह मार सकेगा ?
(६८) एक या दो-तीन जमालगोटे पानीमें पीसकर बिच्छूके काटे स्थानपर लगा दो और साथ ही इनमेंसे ज़रा-सा लेकर नेत्रोंमें
आँज दो। भयङ्कर बिच्छूका जहर फौरन उतरकर रोगी हँसने लगेगा। परीक्षित है।
(६६) चिरचिरे या अपामार्गकी जड़, पानीके साथ, सिलपर पीसकर बिच्छूके काटे स्थानपर लगाने और इसी जड़को मुँहमें रखकर चबाने और रस चूसनेसे बिच्छूका जहर तत्काल उतर जाता है। देखनेवाले कहते हैं, जादू है। हमने दस-बीस बार परीक्षा की, इस जड़ीको कभी फेल होते नहीं देखा । डबल परीक्षित है।
(७०) गो-मूत्र और नीबूके रसमें तुलसीके पत्ते पीसकर
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