________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
बिच्छू विषनाशक नुसख्ने ।
२६६
I
"" निर्मल फल" और गुजराती में “निर्मली" कहते हैं। निर्विषी दूसरी चीज़ हैवह एक प्रकारकी घास है । उसमें साँप और बिच्छूका ज़हर नाश करने की भारी सामर्थ्य है ।
(५८) बिच्छू के काटते ही, काटे स्थानपर, तत्काल पानीकी बर्फ घर देने से दर्द फौरन कम हो जाता है। इससे क़तई आराम नहीं हो जाता, पर शान्ति अवश्य मिलती है। बर्फ़ रखकर, दूसरी दवाकी फ़िक्र करनी चाहिये और तैयार होते ही लगा देनी चाहिये । परीक्षित है ।
(५६) बकरीकी मैंगनी, पानी में पीसकर, बिच्छू के काटे स्थानपर लगा देने तत्काल जहर उतर कर शान्ति होती है ।
नोट -- बकरीकी मैंगनी जलाकर खाने और उसी राखका लेप करने से भी फ़ौरन श्राराम होता है । दोनों उपाय आज़मूदा हैं 1
( ६० ) इमली के चीयों या बीजों को पानी में पीसकर, बिच्छूके काटे स्थानपर लगाने से तत्काल ज़हर उतर जाता है । परीक्षित है ।
( ६१ ) सत्यानाशीकी छाल, पानी में रखकर, खानेसे बिच्छूका विष नष्ट हो जाता है । परीक्षित है ।
(६२) बाँझ ककोड़े की गाँठ पानीमें घिसकर पीने और काटे स्थानपर लेप करने से बिच्छू, साँप, चूहे और बिल्ली सबका जहर उतर जाता है । परीक्षित है ।
(६३) बाँझ ककोड़ेकी गाँठ और धतूरेकी जड़, -- इन दोनोंको चाँवोंके धोवनमें घिसकर पिलाने और डंक मारे स्थानपर लगानेसे बिच्छू प्रभृति ज़हरीले जानवरोंका विष उतर जाता है परीक्षित है ।
|
( ६४ ) प्याजके दो टुकड़े करके बिच्छूके डंक मारे स्थानपर लगाने से फ़ौरन आराम होता है । परीक्षित है ।
(६५) कपास के पत्ते और राई - दोनोंको मिलाकर और पानी के
For Private and Personal Use Only