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चिकित्सा-चन्द्रोदय । - नोट--ऊपरकी बातका यह मतलब है, कि रोगी २०, १६, १८, १७, १६, १५, १४, १३, १२, ११, १०, ६, ८, ७, ६, ५, ४, ३, २ और १ इस तरह गिने; यानी बीससे एक तक उल्टी गिन्ती गिने । .. (११) भाँगके बीज कूट-पीसकर और मोममें मिलाकर खिलानेसे बिच्छूका जहर उतर जाता है।
(१२) 'मोजिज़" नामक ग्रन्थमें लिखा है- एक मनुष्यको बिच्छूने चालीस जगह काटा । उसने चटपट "इन्द्रायणका हरा फल" लाकर, उसमेंसे आठ माशे गूदा खा लिया। खाते देर हुई, पर आराम होते देर न हुई। - (१३) बिच्छूके काटे स्थानपर प्याजका जीरा मलने और थोड़ासा गुड़ खा लेनेसे बिच्छूका विष उतर जाता है। परीक्षित है।
(१४) घीमें कुछ सैंधानोन मिलाकर पीनेसे बिच्छूका ज़हर उतर जाता है । परीक्षित है। विच्छूके काटे स्थानपर लगाने, सूघने, आँजने और
__ धूनी देनेकी दवाएँ । (१५) किसी कदर गरम कॉजी बिच्छूके काटे स्थानपर सींचने या तरड़ा देनेसे ज़हर उतर जाता है ।
(१६) शालिपर्णीका मन्दोष्ण या सुहाता-सुहाता गरम काढ़ा बिच्छूके काटे स्थानपर सींचनेसे जहर उतर जाता है।
नोट--शालिपर्णीको हिन्दीमें “सरिवन", बँगलामें शालपानि, मरहठीमें सालवण और गुजरातीमें समेरवो कहते हैं । इसमें विष नाश करनेकी शक्ति है ।
(१७) गरमागर्म घीमें सेंधानोन पीसकर मिला दो और फिर उसे बिच्छूके काटे हुए स्थानपर सींचो । इसके साथ ही घीमें सेंधानोन मिलाकर, दो-तीन बार पीओ। यह उपाय परीक्षित है।
(१८) दूधमें सेंधानोन पीसकर मिला दो और फिर उसे आगपर
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