________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२५६
चिकित्सा-चन्द्रोदय । मिला हुआ खून चूसनेवालेके मुंहमें चला जायगा। इसके सिवा, चूसनेवालेके में हमें कहीं ज़ख्म न होने चाहियें। उसके दाढ़-दाँतोंसे
खून न जाता हो और दाँतोंकी जड़ या मसूड़े पोले न हों । अगर मुँहमें घाव होंगे, दाँतोंसे खून जानेका रोग होगा या मसूड़े पोले होंगे, तो चूसा हुआ जहर घाव वगैरःके द्वारा चूसनेवालेके खूनमें मिलकर उसे भी मार डालेगा । खून चूसनेका काम, इस मौके पर, बड़ा ही अच्छा इलाज है । मगर चूसनेवालेको, अपनी प्राणरक्षाके लिये, ऊपर लिखी बातोंका विचार करके खून चूसनेको तैयार होना चाहिये । हाँ, बन्ध बाँधकर, खून चूसनेकी ज़रूरत हो, तो खून चूसनेमें ज़रा भी देर न करनी चाहिये ।
'तिब्बे अकबरी"में लिखा है, जो शख्स खून चूसनेका इरादा करे, वह अपने मुँहको “गुले रोग़न" और "बनफशाके तेल" से चिकना कर ले । जो चूसे वह बिल्कुल भूखा न हो, शराबसे कुल्ले करे और थोड़ी-सी पी भी ले । जब खून चूसकर मुंह उठावे, मुंहका लुआब
और पानी निकाल दे, जिससे वह और उसके दाँत विपद्से बचें। ___और भी लिखा है, अगर काटी हुई जगह ऐसी हो, जो न तो काटी जा सके और न वहाँ बन्ध ही बाँधा जा सके, तब काटे हुए स्थानके पासका मांस छुरेसे इस तरह काट डालो, कि साफ हड्डी निकल आवे । फिर उस स्थानको गरम किये हुये लोहेसे दाग दो या वहाँ कोई विष-नाशक लेप लगा दो । राल और जैतूनका तेल औटाकर लगाना भी अच्छा है । अगर डसी हुई जगहपर दवा लगानेसे अपने
आप घाव हो जाय, तो अच्छा चिह्न समझो । घावको जल्दी मत भरने दो, जिससे जहर अच्छी तरह निकलता रहे; क्योंकि जहरका क़तई निकल जाना ही अच्छा है।
खुलासा यह है:.. (१) बिच्छूने जहाँ डंक मारा हो उस जगहसे कुछ ऊपर बन्ध बाँध दो।
For Private and Personal Use Only