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बिच्छू-सम्बन्धी जानने-योग्य बातें। २५१ (३) महा विषवाले।
जो बिच्छू गाय प्रभृतिके गोबर, लीद, पेशाब और कूड़े-कर्कटमें पैदा होते हैं, उनको मन्द विषवाले कहते हैं। मन्द विषवाले बिच्छू बारह प्रकारके होते हैं।
जो ईट, पत्थर, चूना, लकड़ी और साँप वगैरके मल-मूत्रसे पैदा होते हैं, वे मध्यम विषवाले होते हैं । वे तीन तरहके होते हैं । ___जो साँपके कोथ या साँपके गले-सड़े फन वगैरःसे पैदा होते हैं, उन्हें महा विषवाले कहते हैं । वे १५ प्रकारके होते हैं। ____ मन्द विषवाले बिच्छू छोटे-छोटे और मामूली गोबरके-से रङ्गके होते हैं। वाग्भट्टने लिखा है,-पीले, सफेद, रूखे, चित्रवर्णवाले, रोमवाले, बहुतसे पर्ववाले, लोहित रङ्गवाले और पाण्डु रङ्गके पेटवाले बिच्छू मन्द विषवाले होते हैं। _ मध्यम विषवाले बिच्छू लाल, पीले या नारङ्गी रङ्गके होते हैं। वाग्भट्ट कहते हैं,--धूए के समान पेटवाले, तीन पर्ववाले, पिङ्गल वर्ण, चित्ररूप और सुर्ख कान्तिवाले बिच्छू मध्यम विषवाले होते हैं । ___ महा विषवाले बिच्छू सफ़ेद, काले, काजलके रङ्गके तथा कुछ लाल
और कुछ नीले शरीरवाले होते हैं। वाग्भट्ट कहते हैं, अग्निके समान कान्तिवाले, दो या एक पर्ववाले, कुछ लाल और कुछ काले पेटवाले बिच्छू महा विषवाले होते हैं। - अगर मन्दे विषवाला बिच्छू काटता है, तो शरीरमें वेदना होती है, शरीर काँपता हैं, शरीर अकड़ जाता है, काला खून निकलता है, जलन होती है, सूजन आती है और पसीने निकलते हैं। हाथ-पाँवमें काटनेसे दर्द ऊपरको चढ़ता है। . नोट--यह कायदा है, कि स्थावर विष नीचेको फैलता है, पर जंगम विष-- साँप, बिच्छू अादि जानवरोंका विष-ऊपरको चढ़ता है। कहा है:
. अधोगतिः स्थावरस्य जंगमस्योर्ध्वसंगतिः ।.....
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