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चिकित्सा-चन्द्रोदय । . (५) हल्दी, दारुहल्दी, सैंधानोन और घी,--इन सबको एकत्र पीसकर, लेप करनेसे कनखजूरेका जहर उतर जाता है । परीक्षित है।
नोट--अगर कनखजूरा चिपट गया हो, तो उसपर चीनी डाल दो, छुटजायगा अथवा उसके सामने ताज़ा मांसका टुकड़ा रख दो ।
(६) “तिब्बे अकबरी" में लिखा है, कनखजूरको ही कूटकर उसकी काटी हुई जगहपर रखनेसे फौरन आराम होता है।
(७) "तिब्बे अकबरी' में लिखा है:--जरावन्द, तबील, पाषाणभेद, किनकी जड़की छाल और मटरका आटा-समान भाग लेकर, शराब या शहद पानीमें मिलाकर कनखजूरेके काटे आदमीको खिलाओ।
(८) तिरयाक, अरवा, दबाउल मिस्क, संजीरनिया, नमक और सिरका,-इनको मिलाकर दंश-स्थानपर लेप करो । ये सब चीजें अत्तारोंके यहाँ मिल सकती हैं।
नोट-दबाउल मिस्क किसी एक दवाका नाम नहीं है । यह कई दवाएँ मिलानेसे बनती है।
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बिच्छू-विष-चिकित्सा।
बिच्छू-सम्बन्धी जानने-योग्य बातें । == श्रुत" में साँप, बिच्छू प्रभृति जहरीले जानवरोंके सम्बन्धमें ISS सुजितना कुछ लिखा है उतना और किसी भी आचार्य ने
== नहीं लिखा । हमारे आयुर्वेदमें तीस प्रकारके बिच्छू लिखे हैं । महर्षि वाग्भट्टने भी उनकी तीन किस्में मानी हैं:--
(१) मन्द विषवाले। . : ..... (२) मध्यम विषवाले।
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