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१६४ . चिकित्सा-चन्द्रोदय । दागनेसे विष उल्टा बढ़ेगा। हाँ, मण्डलीके सिवा और साँपोंने काटा हो, तो आप दाग दें; यानी लोहे या सोनेकी किसी चीजको आगमें तपाकर, आग-जैसी लाल करके, उसीसे काटे हुए स्थानको जला दें। आग क्षणमात्रमें सभीको भस्म कर देती है। घावको भस्म करना कौनसा बड़ा काम है।
नोट-दागनेसे पहले, आपको काटनेवाले साँपकी किस्मका पता लगा लेना ज़रूरी है । काटे हुए स्थान यानी घाव और सूजन प्रभुति तथा अन्य लक्षणोंसे, किस प्रकारके सर्पने काटा है, यह बात अासानीसे जानी जा सकती है ।
अगर उस समय कोई तेजाब पास हो, तो उसीसे काटी हुई जगहको जला दो । कार्बोलिक ऐसिड या नाइट्रिक ऐसिडकी २।३ बूंद उस जगह मलनेसे भी काम ठीक होगा । अगर तेजाब भी न हो और आग भी न हो, तो दो-चार दियासलाईकी डिब्बियाँ तोड़कर काटे हुए स्थानपर रख दो और उनमें आग लगा दो। मौकेपर चूकना ठीक नहीं; क्योंकि दंश-स्थानके जल्दी ही जला देनेसे विषैला रक्त जल जाता है।
(३) बन्ध बाँधना और जलाना जिस तरह हितकर है उसी तरह जहर-मिले .खूनको मुंहसे या एअर-पम्पसे चूस लेना या खींच लेना भी हितकर है। ज़हर चूसनेका काम स्वयं रोगी भी कर सकता है और कोई दूसरा आदमी भी कर सकता है। ___ दंश-स्थान या काटी हुई जगहको जरा चीरकर, खुरचकर या पछने लगाकर, दाँतों और होठोंकी सहायतासे, खून-मिला जहर चूसा जाता है; और खून मुँहमें आते ही थूक दिया जाता है । इसलिये जो आदमी खूनको चूसे, उसके दन्तमूल-मसूढ़े पोले न होने चाहियें। उसके मुखमें घाव या चकत्ते भी न होने चाहिये। अगर मसूढ़े पोले होंगे या मैं हमें घाव वगैरः होंगे, तो चूसनेवालेको भी हानि पहुँचेगी । घावोंकी राहसे ज़हर उसके खूनमें
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