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चिकित्सा - चन्द्रोदय ।
भीतर न घुसा हो, तो भयङ्कर परिणाम नहीं होता । अच्छी तरह दाढ़ बैठने से मृत्यु होती है। बिच्छूके एक डंक होता है, पर साँपके दो डंक होते हैं। बिच्छूके डंकसे तेज दर्द होता है, पर साँपके डसे उतना तेज दर्द नहीं होता, लेकिन जगह काली पड़ जाती है ।
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"चरक" में लिखा है, साँपके चार दाँत बड़े होते हैं। दाहिनी ओरके नीचे दाँत लाल रङ्गके और ऊपर के श्याम रङ्गके होते हैं। गायकी भीगी हुई पूँछके अगले भागमें जितनी बड़ी जलकी बूँद होती है, सर्पके बाईं तरफके नीचेके दाँतोंमें भी उतना ही विष रहता है । बाई तरफ के ऊपरके दाँतोंमें उससे दूना, दाहिनी तरफके नीचे के दाँतों में उससे तिगुना और दाहिनी तरफके ऊपरके दाँतोंमें उससे चौगुना विष रहता है । सर्प जिस दाँतसे काटता है, उसके डसे हुए स्थानका रङ्ग उसी दाँतके रंगके जैसा होता है। चार तरहके दाँतोंमेंपहले की अपेक्षा दूसरेका, दूसरेकी अपेक्षा तीसरेका और तीसरेकी अपेक्षा चौका दंशन अधिक भयानक होता है ।
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साँपको उम्र और उनके पैर ।
पुराणोंमें सर्पकी आयु हज़ार वर्ष तककी लिखी है, पर अनेक ग्रन्थोंमें सौ या सवा सौ वर्षकी ही लिखी है । कोई कहते हैं, साँपके पैर नहीं होते, वह पेटके बल इतना तेज़ दौड़ता है, कि तेज से तेज घुड़सवार उससे बचकर नहीं जा सकता । कोई कहते हैं, साँपके बालके समान सूक्ष्म २२० पैर होते हैं, पर वह दिखते नहीं । जब साँप चलने लगता है, पैर बाहर निकल आते हैं ।
साँपिन तीन तरह के बच्चे जनती है ।
साँपिनके अण्डोंसे तीन तरहके बच्चे निकलते हैं:( १ ) पुरुष, (२) स्त्री और (३) नपुन्सक । जिसका सिर भारी होता है, जीभ मोटी होती है; आँखें बड़ी-बड़ी होती हैं, वह सर्प होता
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