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शत्रुओं द्वारा दिये हुए विषकी चिकित्सा । १४६ (४) प्रियंगूफूल, बीरबट्टी, गिलोय और कमलको पीसकर, हाथोंपर लेप करनेसे उँगलियोंकी जलन, चोंटनी और नाखूनोंके फटनेमें शान्ति होती है।
Sooozakosh 0 ग्रासमें विष-परीक्षा ।
********26-28-%888 अगर राफलतसे ऊपर लिखे लक्षणोंवाला विष मिला भोजन कर लिया जाय या ग्रास मैं हमें दिया जाय, तो जीभ, अष्ठीला रोगकी तरह, कड़ी हो जाती है और उसे रसोंका ज्ञान नहीं होता। मतलब यह कि, जीभपर विष-मिले भोजनके पहुंचनेसे जीभको खानेकी चीज़ोंका ठीक-ठीक स्वाद मालूम नहीं होता और वह किसी क़दर कड़ी या सखत भी हो जाती है। जीभमें दर्द और जलन होने लगती है । मुंहसे लार बहने लगती है। अगर ऐसा हो, तो भोजनको फौरन ही छोड़कर अलग हो जाना चाहिये और पीड़ाकी शान्तिके लिये, नीचे लिखे उपाय करने चाहियें:--
चिकित्सा। (१) कूट, हींग, खस और शहदको पीस और मिलाकर, गोलासा बना लो और उसे मुँहमें रखकर कवलकी तरह फिराओ, खा मत जाओ।
(२) जीभको जरा खुरचकर उसपर धायके फूल, हरड़ और जामुनकी गुठलीकी गरीको महीन पीसकर और शहदमें मिलाकर रगड़ो । अथवा
(३) अङ्कोठकी जड़, सातलाकी छाल और सिरसके बीज शहदमें पीस या मिलाकर जीभपर रगड़ो।
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दाँतुन प्रभृति विष-परीक्षा ।
Jewester Cas अगर दाँतुन में विष होता है, तो उसकी कूँ ची फटी हुई, छीदी या
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