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चिकित्सा-चन्द्रोदय । - हमारे यहाँ भोजनकी थालीपर बैठकर पहले ही जो बैसन्दर जिमानेकी चाल रक्खी गई है, वह इसी ग़रज़से कि, हर आदमीको भोजनके निर्विष और विषयुक्त होनेका हाल मालूम हो जाय और वह अपनी जीवन-रक्षा कर सके। पर, अब इस जमाने में यह चाल उठती जाती है। लोग इसे व्यर्थका ढोंग समझते हैं। ऐसी-ही-ऐसी बहुत-सी बेवकूफियाँ हमारी समाजमें बढ़ रही हैं।
ecEERIENCEccaocEECCECREENSECRECENCEve है गन्ध या भाफसे विष-परीक्षा ।।
UPEPPERCENTENCEDERENCERCENTERCENTER - थाल और थालियोंमें अगर जहर-मिला भोजन परोसा जाता है, तो उससे जो भाफ उठती है, उसके शरीरमें लगनेसे हृदयमें पीड़ा होती है, सिरमें दर्द होता है और आँखें चक्कर खाने लगती हैं। ___"चरक" में लिखा है, भोजनकी गन्धसे मस्तक-शूल, हृदयमें पीड़ा और बेहोशी होती है।
विष-मिले पदार्थोंके हाथोंसे छूनेसे हाथ सूज जाते या सो जाते हैं, उँगलियोंमें जलन और चोंटनी-सी तथा नखभेद होता है। यानी नाखून फटे-से हो जाते हैं। अगर ऐसा हो, तो भूलकर भी कौर मुँहमें न देना चाहिये।
चिकित्सा। . भाफके लगनेसे हुई पीडाकी शान्तिके लिये नीचे लिखे उपाय करोः
(१) कूट, हींग, खस और शहदको मिलाकर, नाकमें नस्य दो और इसीको नेत्रोंमें आँजो।
(२) सिरस, हल्दी और चन्दनको-पानीमें पीसकर, सिरपर लेप करो।
(३) सफेद चन्दनको, पत्थरपर पानीके साथ पीसकर, हृदयपर लगाओ।
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