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चिकित्सा-चन्द्रोदय ।
कर दिया; इसलिये शत्रुओंने उन्हें भोजनमें विष दे दिया। इस तरह एक महापुरुषका देहान्त हो गया। ऐसी घटनाएँ बहुत होती रहती हैं। बाज-बाज़ बदचलन औरतें अपने ससुर, देवर, जेठ और पत्तियोंको, अपनी राहके काँटे समझकर, विष खिला दिया करती हैं। अतः सभी लोगोंको, विशेषकर राजाओं और धनियोंको बेखटके भोजन नहीं करना चाहिये; सदा शंका रखकर, देख-भालकर और परीक्षा करके भोजन करना चाहिये । राजा-महाराजाओं और बादशाहोंके यहाँ, भोजन-परीक्षा करने के लिये, वैद्य-हकीम नौकर रहते हैं। उनके परीक्षा करके पास कर देनेपर ही राजा-महाराजा खाना खाते हैं।
विष देने की तरकीबें। जहर देनेवाले, भोजनके पदार्थों में ही जहर नहीं देते । खानेकी चीजोंके अलावा, वे पीनेके पानी, नहानेके जल, शरीरपर लगानेके लेप, अञ्जन और तमाखू प्रभृति अनेक चीजों में जहर देते हैं। अँगरेजी राज्य होनेके पहले, भारतमें ठगोंका बड़ा ज़ोर था। वे लोग पथिकोंको जहरीली तम्बाकू पिलाकर, विष लगी खाटोंपर सुलाकर या और तरह विष-प्रयोग करके मार डाला करते थे। आजकल भी अनेक रेल द्वारा सफर करनेवाले मुसाफिर विषसे बेहोश करके लूटे जाते हैं ।
भगवान् धन्वन्तरि कहते हैं, कि नीचे लिखे पदार्थों में बहुधा विष दिया जाता है:--(१) भोजन, (२) पीनेका पानी, (३) नहानेका जल, (४) दाँतुन, (५) उबटन, (६) माला, (७) कपड़े, (८) पलंग, (६) जिरह-बख्तर, (१०) गहने, (११) खड़ाऊँ, (१२) आसन, (१३) लगाने या छिड़कनेके चन्दन आदि, (१४) अतर, (१५) हुक्का, चिलम या तमाखू , (१६) सुरमा या अञ्जन, (१७) घोड़े-हाथीकी पीठ, (१८) हवा और सड़क प्रभृति ।
इस तरह अगर जहर देनेका मौका नहीं मिलता था, तो बहुतसे लोग अय्याश-तबियत अमीरोंके यहाँ विष-कन्यायें भेजते थे। वे
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