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पाँचवाँ अध्याय । 000000000000000000000000
शत्रुओं द्वारा भोजन-पान-तेल और ४ सवारी आदिमें प्रयोग किये हुए विषोंकी चिकित्सा। 8 000000000000000000000000
अमीरों की जान खतरे में 30 जाओंकी जान सदा खतरे में रहती है। उनके पुत्र और
रा, भाई-भतीजे तथा और लोग उनका राज हथियानेके 600 लिये, उनकी मरण-कामना किया करते हैं। अगर उनकी इच्छा पूरी नहीं होती, राजा जल्दी मर नहीं जाता, तो वे लोग राजाके रसोइये और भोजन परोसनेवालोंसे मिलकर, उनको बड़ेबड़े इनामोंका लालच देकर, राजाके खाने-पीनेके पदार्थोंमें विष मिलवा देते हैं। राजाओंकी तरह धनी लोगोंके नज़दीकी रिश्तेदार बेटे-पोते प्रभृति और दूरके रिश्ते में लगनेवाले भाई-बन्धु, उनके माल-मतेके वारिस होनेकी ग़रजसे, उन्हें खाने-पीनेकी चीजों में जहर दिलवा देते हैं। इतिहासके पन्ने उलटनेसे मालूम होता है, कि प्राचीन कालसे अब तक, अनेकों राजा-महाराजा जहर देकर मार डाले गये। पाण्डु-पुत्र भीमसेनको कौरवोंने खाने में जहर खिला दिया था, मगर वे भाग्य-बलसे बच गये। एक मुसलमान शाहजादेको भाइयोंने भोजनमें जहर दिया। ज्योंही वह खाने बैठा, उसकी बहनने इशारा किया और उसने थालीसे हाथ अलग कर लिया। बस, इस तरह मरतामरता बच गया। अपने समयके अद्वितीय विद्वान् महर्षि दयानन्द सरस्वतीने भारतके प्रायः सभी धर्मावलम्बियोंको शास्त्रार्थ में परास्त
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