________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१३८
चिकित्सा-चन्द्रोदय ।
हमने अनेक कष्टसाध्य वायु-रोग आराम किये हैं। पर इस बातको याद रखना चाहिये कि नये रोगोंमें कुचला लाभके बजाय हानि करता है। जब रोग पुराने हो जायँ, कम-से-कम चार-छ महीने के हो जायँ, उन रोगोंसे सम्बन्ध रखनेवाले, वात-दोषके सिवा और दोषोंकी शान्ति हो जाय, तभी इसे देनेसे लाभ होता है। मतलब यह है, पुराने वायु-रोगमें कुचला देना चाहिये, उठते ही नये रोगमें नहीं। - (७) शुद्ध कुचलेका चूर्ण गरम जलके साथ लेनेसे खूब भूख लगती है। साथ ही मन्दाग्नि, अजीर्ण, पेटका दर्द, मरोड़ी, पैरोंकी पिंडलियोंका दर्द या भड़कन, ये सब रोग नाश हो जाते हैं। - (८) किसी रोगसे कमजोर हुए आदमीको कुचला सेवन करानेसे बदनमें ताक़त आती है और रोग बढ़ने नहीं पाता । जिन रोगोंमें कमजोरी होती है, उन सबमें कुचला लाभदायक है। • (2) जो बालक शारीरिक या मानसिक कमजोरीसे रातको बिछौनोंमें पेशाब कर देते हैं, उन्हें उचित मात्रामें कुचला खिलानेसे उनकी वह खराब आदत छूट जाती है ।
(१०) पुराने बादीके रोगोंमें कुचलेकी हल्की मात्रा लगातार सेवन करनेसे जो लाभ होता है, उसकी तारीफ़ नहीं कर सकते । कमरका दर्द, कमरकी जकड़न, गठिया, जोड़ोंका दर्द, पक्षाघात-- एक तरफ़का शरीर मारा जाना, अर्दित रोग-मुंह टेढ़ा हो जाना, चूतड़से पैरकी अँगुली तकका दर्द और झनझनाहट--अगर ये सब रोग पुराने हों, चार-छ महीनेके या ऊपरके हों-इनके साथके मूर्छा कम्प आदि भयङ्कर उपद्रव शान्त हो गये हों, तब आप कुचला सेवन कराइये। आप फल देखकर चकित हो जायँगे। भूरि-भूरि प्रशंसा करेंगे। मात्रा हल्की रखिये। नियमसे बिला नागा खिलाइये और महीने दो महीने तक उकताइये मत ।। . (११) जिस मनुष्यका हाथ लिखते समय काँपता हो और क़लम चलाते समय उँगलियाँ ठिठर जाती हों, उसे आप दो-चार महीने कुचला खिलाइये और आश्चर्य फल देखिये ।
For Private and Personal Use Only