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चिकित्सा - चन्द्रोदय |
"सद्य कौस्तुभ" में भी यही सब उपाय लिखे हैं, जो ऊपर हमने "वैद्यकल्पतरु " से लिखे हैं । चन्द बातें छूट गई हैं, अतः हम उन्हें लिखते हैं:--
म या और किसी विषैली चीज़का जहर उतारनेके मुख्य दो मार्ग हैं:
( १ ) विष खाने के बाद तत्काल ख़बर हो जाय, तो वमन कराकर, पेटमें गया हुआ विष निकाल डालो ।
( २ ) अगर विष खानेके बहुत देर बाद खबर मिले और उस समय विषका थोड़ा या बहुत असर खून में हो गया हो, तो उस विषको मारनेवाली विरुद्ध गुणकी दवाएँ दो, जिससे विषका असर नष्ट हो जाय ।
डाक्टर लोग वमन कराने के लिये " सलफेट आफ जिंक ३० ग्रेन या "इपिकाकुना पौडर" १५ ग्रेन तक गरम पानी में मिलाकर पिलाते हैं। इन दवाओंके बदले में आककी छालका चूर्ण १५ न देनेसे भी वमन हो जाती हैं। किसी भी वमनकी दवापर, बहुत-सा गरम पानी या नमकका पानी पीनेसे वमनको उत्तेजना मिलती है । अगर वमनसे सारा विष निकल जाय, तो फिर किसी दवा या उपचारकी जरूरत नहीं। अगर वमन होनेके बाद भी पूर्वोक्त विष-चिह्न नज़र आयें, तो समझ लो कि शरीर में विष फैल गया है। इस दशा में रोगीको जागता रखो -- सोने मत दो |
जागता रखनेको मुँहपर या शरीरपर गीला कपड़ा रखो । खासकर मुँहपर गीला कपड़ा मारो । नेत्रोंमें तेज़ अञ्जन लगाओ। नाकके पास एमोनिया या कलीका चूना और पिसी हुई नौसादर रखो । रोगीको पकड़कर इधर-उधर घुमाओ और उससे बातें करो। बाद में काफी या चाय घण्टे में चार बार पिलाओ। इससे भी नींद न आवेगी । पिंडलियोंपर राई पीसकर लगाओ। जावित्री, लौंग, दालचीनी, केशर, इलायची आदि गरम और अफीम
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