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विष- उपविषोंकी विशेष चिकित्सा - "अफीम” ।
दूसरी तरकीब |
(२) अफीम में आप दालचीनी, केशर, इलायची आदि पदार्थ पीसकर मिला लें। पीछे-पीछे इन्हें बढ़ाते जायँ और अफ़ीम कम करते जायें। साथ ही घी-दूध आदि तर पदार्थ खूब खाते रहें । अगर आप मोहन-भोग, हलवा, मलाई, मक्खन आदि ज़ियादा खाते रहेंगे, तो आपको अफीम छोड़नेसे कुछ विशेष कष्ट नहीं होगा । अगर वदनमें दर्द बहुत हो, तो आप नारायण तैल या कोई और वात-नाशक तैल मलवाते रहें । अगर नींद न आवे, तो जरा-जरा-सी भाँग तवेपर भूँ जकर और शहद में मिलाकर चाटो । पैरोंमें भी भाँगको बकरी के दूध में पीसकर लेप करो । इस तरह छोड़ने से ज़ियादा दस्त तो होंगे नहीं । अगर किसीको हों, तो उसे दस्त बन्द करनेवाली दवा भूलकर भी न लेनी चाहिये । ५/७ दिनमें आप ही दस्त बन्द हो जायँगे । अगर शरीर में बहुत ही दर्द हो, तो जरा-सा - शुद्ध बच्छनाभ विष घी में घिसकर चाटो । पर अतः भूलकर भी एक तिलसे जियादा न लेना । इस तरह हमने कितनों ही की अफीम छुड़ा दी । इस तरह छुड़ाने में इतने उपद्रव नहीं होते; पर तो भी प्रकृति-भेदसे किसीको ज़ियादा तकलीफ़ हो, तो उसे उपरोक्त नारायण तैल, भाँगका चूर्ण, बच्छनाभ विष वग़ैरः से काम लेना चाहिये । इन उपायोंसे एक माशे अफीम १५ दिनमें छूट जाती है । और भी देरसे छोड़ने में तो उपरोक्त कष्ट नाममात्रको ही होते हैं ।
यह घातक विष है,
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तीसरी तरकीब
(३) अफीमको अगर एकदम छोड़ना चाहो तो क्या कहना ! कोई हानि आपको न होगी। हाँ, ८ १० दिन सख्त बीमार की तरह कष्ट उठाना होगा; फिर कुछ नहीं, सदा आनन्द है । इस दशा में नीम, परवल, गिलोय और पाढ़ - इन चारोंका काढ़ा दिनमें चार
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