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चिकित्सा-चन्द्रोदय ।
जीभ रुकती है, आँखें गड़ जाती हैं, शीतल पसीने आते हैं, हिचकियाँ चलती हैं, श्वास रुक-रुककर आता और नेत्रोंके सामने अँधेरी आती है । सात माशे अफीमसे मृत्यु हो जाती है । अगर अफ़ीम तिलीके तेल में मिलाकर खाई जाती है, तो फिर संसारकी कोई दवा रोगीको बचा नहीं सकती।
अफीम खाकर मरनेवालेके शरीरपर किसी तरहका ऐसा फेरफार नहीं होता, जिससे समझा जा सके कि, इसने अफीम खाई है। अफीम खानेवालेकी क़यमें अफ्रीमकी गन्ध आती है। पोष्ट मार्टम या चीराफारी करनेपर, उसके पेटमें अफीम पायी जाती है और सिरकी खून बहानेवाली नसें खनसे भरी मिलती हैं। ____ खाली पेट अफ़ीम खानेसे जल्दी जहर चढ़ता है । अफ़ीम खाकर सो जानेसे जहरका जोर बढ़ जाता है। जियादा अफीम खानेसे तीस मिनट बाद जहर चढ़ जाता है । सो जानेसे जहरका जोर बढ़ता है, इसीसे ऐसे रोगीको सोने नहीं देते।
अफ़ीम छुड़ानेकी तरकीबें ।
पहली तरकीब (१) पहली तरकीब तो यही है कि, नित्य जरा-जरा-सी अफीम कम करें और घी-दूध आदि तर पदार्थ खूब खायँ । जरा-जरा-से कष्टोंसे घबरायें नहीं। कुछ दिनोंको अपने-तई बीमार समझ लें। पीछे अफ्रीम छूटनेपर जो अनिर्वचनीय आनन्द आवेगा, उसे लिखकर बता नहीं सकते । सारी अफ्रीम एक ही दिन छोड़नेसे ८।१० दिन तक घोर कष्ट होते हैं। पर जरा-जरा घटानेसे उसके शतांश भी नहीं । इस दशामें अक्रीमको तोलकर लो और रोज एक नियमसे घटाते रहो।
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