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चिकित्सा - चन्द्रोदय |
हमेशा अफीम खानेवालों की हालत |
हमेशा अफीम खानेवालोंका शरीर दिन-व-दिन कमजोर होता जाता है। उनकी सूरत - शकलपर रौनक नहीं रहती, चेहरा फीका पड़ जाता है और आँखें घुस जाती हैं । उनके शरीर के अवयव निकम्मे और बलहीन हो जाते हैं । सदा क़ब्ज़ बना रहता है, पाखाना बड़ी मुश्किल से होता है, बहुत काँखनेसे ॐ टके-से मैंगने या बकरी-की-सी मैंगनी निकलती हैं । पाखाना साफ़ न होने से पेट भारी रहता है, भूख कम लगती है, कभी-कभी चौथाई खुराक खाकर ही रह जाना पड़ता है । जो कुछ खाते हैं, हज़म नहीं होता । हाथ-पैर गिर पड़े-से रहते हैं । शरीर के स्नायु या नसें शिथिल हो जाती हैं । स्त्री - प्रसङ्गको मन नहीं करता । रातको अगर ज़रा भी नशा कम हो जाता है, तो हाथ-पैर भड़कते हैं। मानसिक शक्तिका हास होता रहता है। शारीरिक या मानसिक परिश्रमकी सामर्थ्य नहीं रहती । हर समय आराम करने और पड़े पड़े हुक्का गुड़गुड़ानेको मन चाहता है । क्योंकि अफीम खानेवालोंको तमाखू अच्छी लगती है । बहुत क्याअफीम खानेवाले जल्दी ही बूढ़े होकर मृत्यु मुख में पतित होते हैं।
जो लोग डली निगलते हैं, उन्हें घण्टे - भर में पूरा नशा आ जाता है; पर २० मिनट बाद उसका प्रभाव होने लगता है । जो घोलकर पीते हैं, उनको घण्टे में नशा चढ़ जाता है और जो चिलममें धरकर तमाखूकी तरह पीते हैं, उन्हें तत्काल नशा आता है । इसे मादक पीना कहते हैं । यह सबसे बुरा है । इसके पीनेवाला बिल्कुल बे-काम हो जाता है । जो लोग स्तम्भनके लालचसे मदक पीते हैं, उन्हें छ दिन बेशक आनन्द आता है, पर थोड़े दिन बाद ही वे स्त्रीके काम के नहीं रहते; धातु सूखकर महाबलहीन हो जाते हैं - बलका नामोनिशान नहीं रहता । चेहरा और ही तरहका हो जाता है, गाल पिचक जाते हैं और हड्डियाँ निकल आती हैं । जब
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