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विष-उपविषोंकी विशेष चिकित्सा--"अफीम"। १११ (३८) अगर पुरानी गठिया हो, तो आप अफीम खिलावें और अफीमके तेलकी मालिश करावें।
नोट-पुराने गठिया-रोगमें नं० २ में लिखी समीरगज-केशरी बटी अत्यन्त लाभप्रद है।
(३६) अगर सूतिका सन्निपात हो, तो आप अफीम दीजिये; आराम होगा।
नोट--नं. ३० में लिखी गोलियाँ दीजिये।
(४०) अगर कम-उम्र स्त्रीको बच्चा होनेसे उन्माद हो गया हो, तो अफीम दीजिये।
(४१) अगर प्रमेह-रोग पुराना हो और मधुमेह-रोगी बूढ़ा या ज़ियादा बूढ़ा हो, तो आप अफीम सेवन करावें। आधी रत्ती अफीम
और एक रत्ती-भर माजूफल--पहले माजूफलको पीस लो और अफीममें मिलाकर १ गोली बना लो। यह एक मात्रा है। ऐसी-ऐसी एक-एक गोली सवेरे-शाम देनेसे मधुमेहमें बे-इन्तहा फायदा होता है । पेशाबके द्वारा शक्कर जाना कम हो जाता है, कमजोरी भी कम होती है, तथा मधुमेहीको जो बड़े जोरकी प्यास लगती है, वह भी इस गोलीसे शान्त हो जाती है।
नोट-याद रखो, प्रमेह जितना पुराना होगा और मधुमेह रोगी जितना बूढ़ा होगा, अफीम उतना ही ज़ियादा फायदा करेगी। मधुमेहीकी प्यास जो किसी तरह न दबती हो, अफीमसे दब जाती है। हमने इसकी अनेक रोगियोंपर परीक्षा की है। ग़रीब लोग जो वसन्त कुसुमाकर रस, मेहकुलान्तक रस,मेहमिहिर तेल, स्वर्णबंग आदि बहुमूल्य दवाएँ न सेवन कर सकते हों, उपरोक्न गोलियोंसे काम लें। अफीमसे गदले-गदले पेशाब होना और मूत्रमें वीर्य जाना श्रादि रोग निस्सन्देह कम हो जाते हैं । पर यह समझना कि, अफीम प्रमेह और मधुमेहको जड़से आराम कर देगी, भूल है। अर्फ म उनकी तकलीफोंको कम ज़रूर कर देगी। ... (४२) अगर किसीको स्वप्नदोष होता हो, तो आप अफीम
आधी रत्ती, कपूर दो रत्ती और शीतल मिर्चोंका चूर्ण डेढ़ माशेतीनोंको मिलाकर, रोगीको, रातको सोते समय, शहदके साथ, :
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