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चिकित्सा-चन्द्रोदय । अट्ठाईस माशे लेकर, पीस-कूटकर टिकिया बना लो। इस टिकियाको पाव-भर जलमें डालकर खूब घोटो । इसके बाद आगपर रखकर पकाओ। जब मसाला जल जाय, तेलको उतार लो और छानकररख लो। इस तेलके लगानेसे अर्द्धाङ्ग वायु और पक्षाघात रोग निश्चय ही नाश हो जाते हैं।
(१०) सफ़ेद कनेरकी जड़को पीसकर, लेप करनेसे दर्द-. खासकर पीठका दर्द और रींगन वायु तत्काल शान्त हो जाते हैं।
(११) कनेरके पत्ते लेकर सुखाओ और पीस-छान लो। अगर सिरमें कफ रुका हो या कफका शिरो-रोग हो, तो इसे नस्यकी तरह नाकमें चढ़ाओ; फौरन आराम होगा।
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तूरेका वर्णन और उसके विषकी
शान्तिके उपाय ।
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XXXX तूरे के वृक्ष वनोंमें, बागों में और जंगलोंमें बहुत होते हैं ।
धू धतूरे के फूलोंके भेदसे धतूरा कई प्रकारका माना गया है । KXXI काला, नीला, लाल और पीला, इस तरह धतूरा चार तरहका होता है। काले और सुनहरी फूलोंका धतूरा पुष्प-वाटिकाओं में होता है। इसके पत्ते पानके या बड़के पत्तेके आकारके जरा किंगरेदार होते हैं । फूलोंका आकार मारवाड़ियोंकी सुलफी चिलम-जैसा अथवा घण्टेके आकारका होता है। फूलोंके बीचमें और ऊपर सफ़ेद रंग होता है तथा बीचमें नीला, काला और पीला रंग भी होता है। फल छोटे नीबूके समान और काँटेदार होते हैं । इन गोल-गोल फलोंके भीतर बीज बहुत होते हैं। जिस धतूरेका रंग अत्यन्त काला होता है और जिसकी डंडी, पत्ते, फूल, फल और सर्वाङ्ग काला होता है, उस धतूरेमें विष अधिक होता है । फल सूखकर फूटकी तरह खिल जाते हैं। उनके
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