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अर्थ:-एम विचारी उठीने में आनंदयी सरकार कांवाद ते देव अदृश्य थयो, अने में आ संसाररूपी अटवीने ओळंगी जवा माटे तुरत चारित्र ग्रहण कर्युः ॥ ४७८ ॥
॥ इति श्रीस्त्रीविषयपरित्यागोपदर्शने चंद्रयशोनृप चरित्रं समाप्तं. आ चरित्र श्रीवर्धमानसूरिविरचित श्रीवासुपूज्यचरित्रनामना महाकाव्यमांथी स्वपरना श्रेय माटे तेना अन्वय तथा गुजराती भाषांतर सहित जामनगर निवासी पंडित श्रावक हीरालाल हंसराजे पोताना श्रीजैनभास्करोदय छापखानामां छापी प्रसिद्ध कयु छे. ॥ श्रीरस्तु ॥
॥ समाप्तोऽयं ग्रंथः गुरुश्रीमच्चारित्रविजय सुप्रसादात् ॥ श्रीरस्तु ॥
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