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(.९०) ॥श्री शीतलनाथ जिन स्तुति ॥
। प्रह उठी बंदू ॥ ए देशी ॥ ॥शीत प्रभु दर्शन, शीतक अंग उवंगे ॥ कल्याणक पंचा पाणि गण सुख संगें।। तो बचन सुणता, शीतल किम नहि कोका। शुभ वीर ते ब्रह्मा, शासनदेवी अशोका ॥१॥ इति ॥
॥ श्री श्रेयांसनाथ जिन स्तुति ॥
॥ श्री सीमंधर देव मुहकर ॥ ए देशी ॥ ॥श्री श्रेयांस सुहंकर पामी, इच्छे अवर कुण देवा जी।। कनक तरु सेवे कुण प्रभुने, छंडी मुरतरु सेवा जी ।। पूर्वापर अविरोधी स्यात्पद, काणी सुधारस वेली जी || मानवी मणुएसर सुप. सायें, वीर हृदयमां फेळी जी ॥ १ ॥ इति ॥
॥ श्री वासुपूज्यजिन स्तुति ॥
॥ कनक तिलक भाले ॥ ए देशो ॥ ॥ विमल गुण अगारं, वासुपूज्यं सफारं ॥ निहत विष विकारं, मात कैवल्य सारं ।। वचन रस उदारं, मुक्ति सच्चे विचार। वीर विधन निवारं, स्तामि चंडी कुमारं ॥१॥ इति ॥
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