SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (८५) ॥ अथ श्री महावीर स्वामी जिन स्तुति ॥ ॥ गौतम बोले ग्रंथ संभाली ॥ ए देशी ॥ ॥ वीर जगत्पति जन्मज थापे, नंदन निश्रित शिखर रहावे, आठ कुमारी गावे ॥ अड गजदंता हेठे वसावे, रुचक गिरिथीं छत्रीश जावे, द्वीप रुचक चउ भावे ॥ छप्पन दिगकुमरी हुलरावे, 'सूती करम करी निज घर पावे, शक्र सुघोषा वजावे ॥ सिंहनाद करी ज्योतिषी आवे, भवन व्यंतर शंख पडहे मिलावे, सुरगिरि जन्म मल्हावे ॥१॥ ऋषभ तेर शशि सात कहीजे, शांतिनाय भव वार सुणीजे, मुनिसुव्रत नव कीजे ॥ नव नेमीश्वर नमन करीजे, पास प्रभुना दश समरीजे, वीर सत्तावीश लीजे ॥ अजितादिक जिन शेष रही जे, त्रण्य त्रण्य भव सधले ठवीजे, भव समकितथी गणीजे ॥ जिन नामबंध निकाचित कीजे, त्रीजे भव तप खंती धरीजे, जिनपद उदये सीझे ॥२॥ आचारांग आदे अंग अग्यार, उववाई आदे उपांग ते वार, दश पयन्ना सार॥ छ छेद सूत्र विचित्र प्रकार, उपगारी मुलमूत्र ते चार, नंदी अनुयोग द्वार ॥ ए पीस्तालीश आगम सार, मुणतां लहीये तत्व उदार, वस्तु स्वभाव विचार ।। विषय भुजंगिनी विष अपहार, ए समो मंत्र न को संसार, वीर शासन जयकार ॥ ३ ॥ नकुल बीजोरु दोय कर झाली, मातंग मुर शाम कंती 'तेजाली, वाहन गज शूढाली ॥ सिंह उपर बेठी १ सुवाषड. २ तेजस्वी. For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy