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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (८१) ॥ श्री शांतिनाथजीनी स्तुति ॥ ॥ शांति जिनेसर समरिये ॥ ए देशी ॥ ॥ शांति मुहंकर साहिबो, संयम अवधारे ॥ सुमतिने घरे पारगुं, भवपार उतारे ॥ विचरंता अवनी तले, तप उपविहारे ॥ ज्ञान ध्यान एक तानथी, तिर्यचने तारे ॥ १॥ पास वीर वासु. पूज्यने, नेम मल्ली कुमारी । राज्य विहूणा ए थया, आपे व्रतधारी । शांति नाय प्रमुखा सवि, लही राज्य निवारी ॥ मल्ली नेम परण्या नहीं, बीजा घरबारी ॥२॥ कनक कमल पगलां ठवे, जग शांति करीजे ॥ रयण सिंहासने बेसीने, भली देशना दीजे ॥ योगावंचक माणीयां, फल लेतां रीझे ।। पुष्करावर्तना मेघमा, मगसेल न भीजे ॥३॥ क्रोडवदन शुकरारुढो. श्याम रूपे चार ॥ हाथ बीजोरु कमल छे, दक्षिण कर सार ॥ जक्ष गरुड वाम पाणीये, नकुलाक्ष रखाणे | निर्वाणीनी वात तो, कवि धीर ते जाणे ॥४॥ इति ॥ ॥बीजो थोय जोडो ॥ ॥ श्रीशांति जिणेसर समरिये, जेहनी अचिरा माय ॥ विश्वसेन कुल उपना, मृग लंछन पाय ॥ गजपुर नयरीनो धणी, सेविन वर्णी काय ॥ धनुष चालीव जस देहडी, वरष लाखनुं आय ॥१॥ शांति जिनेसर सेोपमा, चक्री पंचम जाणुं ! कुंथुनाय चक्री छठा, अरनाथ बखाणं । ए त्रणे पनी सही, देखी आणंदुं ॥ संयम लेइ For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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