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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२९) (७) सिद्धराजजी, (८) नाम भगोरथ सार ॥ (९) सिद्धक्षेत्रने (१० ) सहस्र कमल, ( ११ ) मुक्तिनिलय जयकार ॥३॥ (१२) सिद्धाचळ (१३) शतकूटगिरि, (१४) ढंकने (१५) कोडोनीवास ॥ (१६) कदंबगिरि (१७) लोहितनेमो, (१८) तालध्वज [ १९ ] पुण्यराशि ॥ ४ ॥ [२०] महाबल (२१) दृढशक्ति सही, ए एकवीशह नाम । साते शुद्धि समाचरी, करीए नित्य प्रणाम ॥ ५ ॥ दग्ध शुन्य ने अविधि दोष, अति प्रवृति जेह ।। चार दोष छंडो भजो, भक्तिभाव गुण गेह ॥ ६॥ मणुय जन्म पामी करीए, सद्गुरु तीरथ योग ॥ श्री शुभवारने शासने, शिवरमणी संयोग ॥ ७ ॥ इति ॥ । बीजु.॥ ॥ श्री आदिनाथ जगन्नाथ, विमलाचल मंडन ॥ जयनाभि कुलाकाश, प्रकाशन दिवाकर ॥ १ ॥ तवदेव पदांभोज, सेवापि दुर्लभा भवेत् ॥ पुण्य संमार होनानां ॥ कल्पवल्लो व देहिनाम् ॥२॥ ते धन्या मानवा देवा, योगमन्तव शासनं ॥ वंदनीया विभाताये, वंदंते भवतः पदौ ।। ३ ॥ प्रचंड मम रागादि, रिपुसंतति घातक। श्रीयुगादि जिनाधीश, देवं वंदे मुदा सदा ॥ ४ ॥ श्री शत्रुजय कोटीर, कृतं राज्यश्रिया विभो । सर्वोधनाशनं मेस्तु, शासनं ते भवे भवे ॥ ५ ॥ पाताले यानि बिबानि, यानि बिंबानी भूतले ॥ स्वर्गेपियानि विद्यानि, तानिवंदे निरंतरम् ॥ ६ ॥ इति ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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