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( १८ ) तीलो, शिवादेवी सुत प्यारो ॥ सहस बरस प्रभु आउखु, पाम्यु मुखकार ॥ २ ॥ श्री गोरनारे मुक्ते गयाए, सारीपुर अवतार ॥ रुपविजय मन वालहो, जगजीवन जीनराज ॥ ३ ॥ इति ।।
॥ श्री पार्श्वनाथजी, चैत्यवंदन ॥ !! जयोजयो श्री पानाथ, मुख संपतीकारी ॥ अश्वसेन वामा तणो, नंदन मनोहारी ।।१॥ नील वर्ण नव हाथ देह, अही लंछन धारो ।। एकसो वरसर्नु आउखु, वरीया शिवनारी ॥ २ ॥ जन्म ठाम वणारशीए, प्रत्यक्ष परचयोदेव ॥ सानिधकारी साहीवा, रुप कहे नितमेव ॥ ३ ॥ इति ।
॥ बीजु.॥ ॥ नयरी वाणारसीये थया, प्राणतथी परमेश ।। योनि व्या. घ्र मुहंकरी, राक्षस गण सुविशेष ॥१॥ जन्म विशाखायें थयो, पाव प्रभु महाराय ।। तुलाराशि छद्मस्थमा, चोराशी दिन जाय ।।२।। धवतरु पासे पामीयाए, क्षायक दुग उपयोग । मुनि तेत्रिशे शिव वर्या, वीर अक्षय सुख भोग ॥ ३ ॥ इति ॥
॥ श्रीजु.॥ ॥ पुरिसां दाणी पार्श्वनाथ, नमीय मन रंग ॥ नीलवरण अश्वसेन नंद, निरमल निस्संग ॥१॥ कामीत दायक कल्पसाख, वामा सुतसार ।। श्री गवडोपुर स्वाम नाम, जपिय निरधार ॥२॥
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