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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इम वर्ण देह, मेले शिवसाय ॥ १॥ लंछन नील कमळ जास, सरीया भव पाय ॥ नमी नमतां नेह मुं, हवे थया सनाय ॥ २ ॥ दश हजार वरसनु आउखुए, एकवीशमो मुनि स्वामी ॥ रुप कहे प्रभु सामलो, मन मोयुं तुमसुं स्वामी ॥ ३ ॥ ॥ बोजु.॥ ॥ दशमा माणत स्वर्गथी, आन्या श्री नमिनाथ || मिथिला जयरी रानियो, शिवपुर केरो साथ ॥१॥ योनि अव अलं. करी, अश्वनी उदयो भाण || मेष राशि सुरगण नमुं, धन्य ते दिन सुविहाण ॥ २ ॥ नव मासांतरे केलीए, बकुल तले निरधार : वीर अनोपम मुख वर्या, मुनि परितंत हमार ॥ ३ ॥ इति ॥ ॥श्री नेमीनाथजन चैत्यवंदन ॥ ॥ नेमीनाथ बावीशमा, अपराजितथी आय ॥ सौरीपुरमा अवतर्या, कन्याराशि सुहाय ॥१॥ योनि वाघ विवेकीने, राक्षस गण अद्भुत ॥ रिख' चित्रा चोपनादिन, मौनवता मनात ॥२॥ वेतस हेठे केवलीप, पंचसयां छत्रीश ।। वाचंयमशुं शिववर्या, वीर. नमे निशदिश ॥ ३ ॥ इति ॥ ॥ बीजु.॥ ॥ॐ नमो विश्वनाथाय, जन्मतो ब्रह्मचारीणे॥ कर्मवल्ली वनच्छेद, नमयेऽरिष्ट नेमये ॥१॥ यदुवंश समुद्रंदु, कर्म कक्ष हुताशनः ।। अरिष्ट नमिभगवान् , भूयाध्वोऽरिष्ट नाशनः ॥ २॥ अनंत परमानंद, पुणधापश्यवस्थितः ॥ भवंतं भवता साक्षी, भव्यतीह १ नक्षत्र, : पवित्र For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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