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(११) ॥ श्री अरनाथ जिनुं चैत्यवंदन ॥ ।। ठाण सवट थको चव्या, नागपुरे अरनाथ ॥ रेवती जन्म महोत्सवा, करता निर्जर नाथ ॥१॥ जयकर योनि गजबरु, राशि मीन गणदेव ।। त्रण वरसमा थिर थइ, टाछे मोहनी टेव ॥ २ ॥ पाम्या अंब तरू तलेंए, खायिक भावेनाण || सहस मुनिवर साथy, बीर कहे निर्वाण ॥३॥ इति ॥
॥ बोजु.॥ | राय मुदर्शन गजपुरी, देवी पटराणी ॥ लंछन नंदावर्त जास, अरजीन गुणखाणी ॥ १ ॥ त्रीश धनुष वर देवडी, हेमवर्ण जाणी ॥ सहस चोराशी वर्ष आयु, करे केवल नांणो ॥ २ ॥ चक्रवर्ती प्रभु सातगोए, अढारमो मुज देव ।। रुप कहे भषि पहने नमो, करो नीरंतर सेव ॥ ३ ॥ इति ।।
॥ श्री मल्लीनाथजीनु चैत्यवंदन ॥ मल्लीनाथ ओगणीशमां, मीथीलापती वंदो ॥ प्रभावती माये जनमोयो, कुंभराय कुळचंदो ॥ १॥ सहस पंचावन बरस आयु, नील वर्ण जीणंदा ॥ धनुष पंचवीश प्रभु देहपान, टाळे भव फंदा ॥२॥ लंछन कलश सोहामणुए, सेवे सुर नर छंद ॥ श्री विनय विजय उवझायना, रुप लहे आणंद ॥ ३॥ इति ॥
॥ बोजु.॥ । मल्लिजयंत विमानयी, मिथिलानयरी सार ॥ अग्विनी
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