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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२०४) ॥श्री साधारण जिन स्तवन । । राग-केदारो. आवो आवो जसोदाना कंथ अम घर ___ आवोरे-ए एशी ॥ ॥ भलं कीg रे माहरा नाथ, मुन मन आव्या रे ॥ मिलीयो शिवपुर साथ, सविसुख पाव्यारे ॥ सुपसान थइने आज, दरिसन दीधुंरे, आ मानवना अवतार, तणुं फल लीधुं रे ॥१॥ तुज शासन प्रतीते, में हित जाणोरे ॥ छे यदि अगम अथाह, पणे चित आणी रे॥ अनेकांत नयरूप, जे तुम वाणीरे ॥ भाषक अवर न कोइ, अनोपम नाणोरे ॥ २ ॥ करुणावंत कृपाल, कृपा हवे कीजे रे॥ भव भव एहिज रंग, अभंगे दीजे रे ॥ श्री जिनवर महाराज, साहिब सुणीये रे ॥ भाव मने मन जाणी, घणुं शुं भणीयेरे ? ॥ ३ ॥ शुं बहु भाख्ये होइ, सेवक गणीयेरे ॥ देखी दोष अनेक ए, नवि अवगणीयेर । सेवकनी सवि लाज, स्वामी वधारेरे ॥ भक्ति आतुरता भाव, ए व्यवहारेरे ॥४॥ आप सरुप न कोइ, केने आपेरे ॥ पण सहायने हेत, ध्याने थापे रे । जेम रविथी पंकजवास, बंधन विघटेरै ॥ तेम ज्ञानविमल गुण वृद्धि, प्रभुथी प्रगटेरे ॥ ५॥ इति ॥ ॥ अथ श्री जिन सहस्रनाम वर्णन छंद । ॥ भुजंग प्रयात वृत्तं ॥ जगन्नाथ जगदीश जगबंधु नेता, चि१ मति इत्यपि. For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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