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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१६७) ब्रह्मा सदाजी, शासन विधन हरेइ ॥ देवी अशोका प्रभुतणीजी, अहनिशि भगति करेइरे ॥ जि० ॥ तु० ॥४॥ परम पुरुष पुरुषो त्तमोजी, तूं नरसिंह निरीह ॥ कवियग तुज जश गावतांजी, पवित्र करे निज 'जीहरे जि० तु० ॥ ५ !! श्री श्रेयांसनाथ जिन स्तवन । (नयरी अयोध्या जयवतीरे, ( अथवा) सुत सिद्धास्थ भुपनो रे, ए देशी.) सिंहपुरी नयरी भलीरे, विष्णु नृपति जस तात ॥ माता विष्णु महासतीरे, लीजे नाम प्रभातोरे ॥ जिन गुण गाइए ॥ १॥ श्रीश्रेयांस जिनेसरुरे, कनक वरण शुचि काय ॥ लाख चोराशी वरषनुरे, पाले प्रभु निज आयोरे । जि० ॥२॥ एक सहसयुं व्रत लीयेरे, असिय धनुष :तनु मान ॥ खडगी' लंछन शिव लहरे, समेतशिखर शुभ ध्यानरे॥जि०॥३॥ सहस चोराशी मुनिवरारे, त्रण सहस लख एक॥ प्रभुजीनी वर साहुणीरे, अदभुत विनय विवेकरे ॥ जि० ॥ ४ ॥ सुर मनुजेश्वर मानवीरे, सेवे पय" अरविंद ॥ श्री नयविजय सुशीशनेरे, ए प्रभु मुरतरु कंदरे ॥ जि.॥५॥ ... १. जीभ, २. सोना जेवो. ३. गेंडानु. ४. श्रेष्ट साध्वीओ. ५. चरण कमल, For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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