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तेहज समे, करो उजमणो सार ॥ यथा शक्ति होये जेहनी, जिम करीये धरी प्यार ॥ ७ ॥ वासुपूज्य जिन बिंबनी, पूजा करो त्रिण काल || देव वंदो वली नावसुं, स्वस्तिक पर्व विशाल ॥ ८ ॥ ए तप जे सहि आदरे; पोहचे मननी कोड ॥ मन वांछित फले तेहना, हंस कहे कर जोक ॥ ९ ॥ इति ॥
॥ बीजनुं चैत्यवंदन ॥
॥ श्री जिन पद पंकज नमी, सेवो बहु प्यार ॥ बीज तणे दिन जिन तथा, कल्याणक सार ॥ १ ॥ महा सुद बीजे जनमीया, अभिनंदन स्वामी ॥ वासु पूज्य केवल लह्यो, नमीये शिरनामी ॥ २ ॥ फागुण सुदि द्वितीया वली, चविया श्री अरनाथ ॥ वद वैशाखे बीजनी, शीतल शिवपुर साथ ॥ ३ ॥ श्रावण सुदिने बीज तीथे, सुमती चवन जिणंद ॥ ते जिनवरने प्रणमतां, पामे अति आनंद ॥ ४ ॥ अतित अनागत वर्तमान, जिन कल्याणक जेह || बीज दीने चित्त धारीये; हिडे हरख धरेह ॥ ५ ॥ दुविध धर्म भगवंतजी, भाख्यो सुत्र मझार ॥ तेह भणी बीज
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