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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दरिसण सुखकरं ॥ वर ज्ञानपद चारित्र तप ए॥ ॥नमो० ॥२॥ श्रीपाळ राजा शरीर साजा, सेवतां नवपद वरं ॥ जगमाहे गाजा किरती भाजा ॥ नमो० ॥३॥ श्री सिद्धचक्र पसाय संकट, आपदा नासे अरं ॥ वली विस्तरे सुख मनो वंछित ॥ नमो०॥ ॥४॥ आंबिल नव दिन देववंदन, त्रण टक निरतरं ॥ दोयवार पडिकमणा पलेवण ॥ नमो० ॥ ५॥ त्रिकाळ भावे पुजीये भव, तारक तीर्थकरं ॥ तिम गगणं दोय हजार गुणीये ॥ नमो० ॥ ६॥ एम विधि सहित मन वचन काया, वश करी आराधीये ॥ तप वर्ष साढाच्यार नवपद ॥ नमो० ॥७॥ गद कष्ट चुरे सर्व पुरे, यक्ष विमलेश्वर वरं । श्री सिद्धचक्र पसाय माणिक, विजय विलसे सुखकरं ॥ नमो०॥ ८॥ ॥बीजु चैत्यवंदन ॥ ॥सिद्धचक्र आराधता, भवसायर तरिये ॥ भव अटवीथी उतरी, शिव वधुने वरीये ॥१॥ अरिहंत पद आराधतां, तिर्थंकर पद पावे ॥ जग उपकार करे घणो, सिधर शिवपुर जावे ॥२॥ सिद्ध पद ध्यातां For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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