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३९९ परिवारशुं परवरयो, जलधि जंगम जीयो गुहिर गाजे ॥ विचरता देश परदेश निय देशना, उपदिशे सयल संदेह भांजे ॥ मु०॥ ११ ॥
॥ ढाल २ जी ॥ विवाहलानी देशौ ॥ ॥ हवे निय आय अंतीम समे, जाणिय श्री जिनरायरे ॥ नयरी अपापाएं आवीया ॥ राय समाजने ठायरे॥हस्तिपालगराये दीठला, आवियडा अंगण बार।नयण कमल दोय विहसीआ, हरसीला हडा मझाररे ॥ १॥ भले भले प्रभुजी पधारीया, पावस पावन किधारे ॥जनम सफल आज अम तणो, अम्ह घरे पाउलां दीधारे ॥ राणी राय जिन प्रणमीया, मोटे मोतियमे वधाविरे ॥ जिन सनमुख कर जोडीय, बेठला आगले आविरे ॥२॥ धन अवतार अमारडो, धन दिन आजुनो एहोरे । सुरतरु आंगणे मोरिओ, मोतियडे वुठलो मेहोरे ॥ आ इयु अमारमे एवडो, पूरव पुन्यनो नेहोरे ॥ हैडलो हेजे हरसिओ, जो जिन मलिओ संजोगोरे ॥३॥ अति आदर अवधारिए, चरम चोसासलु रहियारे ॥ राय राणि सुर
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