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|| ढाल सातमी ॥
यौवन वय जब आविया ए, राय कन्या जशोदा परणाविया ए ॥ विवाह महोच्छव शुभ किया ए, सर्वे सुख संसारना विलसियाए || १ || अनुक्रमे हुइ एक कुंअरी ए, त्रीश वर्ष जिनराज लीला करी ए ॥ मात पिता सद्गति गया ए, पछे वीर वैरागे पूरिया ए ॥२॥ मयणरायसेन जीतीओए, वीरे अथीर संसार मन चिंतियो ए ॥ राजरमणी ऋद्धि परिहरीए, कुटुंबने लेशुं संयम सिरीए ||३||
॥ ढाल आठमी ॥
॥ पितरीओ सुपासरे, भाइ नंदि वर्धन ॥ कहे वच्छ एम न कीजीये ए ॥१॥ आगे माय ताय विछोहरे, तुं वळी व्रत लीये ॥ चांदे खार न दीजीए ॥२॥ नीर विना जीम मच्छरे, वीर विना तिम ॥ टलवलतुं इम सहु कहे ए ॥ ३ ॥ कृपावंत भगवंतरे, एह विना वळी ॥ वरस वे जाजेरां रह्यां ए ॥४॥ फासु लीए अन्नपानरे, पर घर नवि जमे ॥ चित चारित्र भावे रमे ए ॥ ५ ॥ न करे राजनी चिंतरे, लोकांति
सुर
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