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३८९ ए ॥ पायाले नागेंद्र, सघळा सळसळ्या ए॥ ९॥ गिरिवर त्रूटे टुंक, गम गमी पमे ए ॥ तीन भुवनना लोक, सघळे लडथडे ए ॥१०॥ अनंत बल अरिहंत, सुरपतिए का ए ॥ हुँ मूरख सहि मूढ, एटझुं नवि लडं ए ॥११॥ प्रदक्षिणा देइ खामेय, ओडव करे ए ॥ नाचे सुर गाये गीत, पुण्य पोते भरे ए ॥१२॥ इणे सुखे स्वर्गनी लील, तृण सरखीगणे ए ॥ जिन मुकी मायने पास, पद गया आपणे ए ॥१३॥ माय जागी जूए पुत्र, सुरवरे पूजीओ ए ॥ कुंडल दोय देवदुष्य, अमीय अंगुठे दीयो ए ॥१४॥ जन्म महोचव राय, ऋद्धिये वाधियो ए ॥ सज्जन संतोषी नाम, वर्द्धमान थापीयो ए ॥१५॥
॥ ढाल पांचमी | प्रभु पासनु मुखड जोवा ए देशी ॥ . ॥प्रभु कल्पतरु सम वाधे, गुण महिमा पार न लाधे ॥ रूपे अद्भुत अनुपम अकल, अंगे लक्षण विद्या सकल ॥१॥ मुख चंद्र कमल दल नयण, सास सुरभि गंध मीठां वयण॥ हेम वरणे प्रभु तनु शोभावे, अति निर्मल विण नवरावे ॥२॥ तप तेजे सुरज सोहे,
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