________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
३५८
॥ कलश ॥ ओगणीश एके वरस छे के, पूर्णिमा श्रावण वरो ॥ में शुण्यो लायक विश्वनायक, वर्द्धमान जिनेश्वरो ॥ संवेग रंग तरंग झीले, जस विजय समता धरो॥ शुभविजय पंमित चरण सेवक, वीरविजयो जय करो ॥ १२ ॥
॥ अथ श्रीमहावीर स्वामीनु पालणुं प्रारंभः ॥
॥ माता त्रिशलायें पुत्र रतन जाओ, चोसठ इद्रनां आसन कंपे सार ॥ अवधिज्ञाने जोइ ध्यायो श्री जिन वीरने, आवे क्षत्रियकुंड नयर मझार ॥ माता ॥१॥ वीर प्रतिबिंब मुकी माता कने, अवस्वापिनी निद्रा दीए सार ।। एम मेरुशिखरे जिनने लावे भक्तिशं, हरि पंच रूप करी मनोहार ॥ माता० ॥२॥ एम असंख्य कोटा कोटी मली देवता, प्रभुने सोचव मंडाणे लइ जाय ॥ पांडुक वन शिलायें जिनने लावे भक्तिशुं, हरि उछंगे थापे इंद्र घणुं उच्छाय।माता॥ ॥३॥ एक कोडी शाठ लाख कलशें करी, वीरनो स्नात्र महोत्सव करे सार ॥ अनुक्रमें वीर कुमरने
For Private And Personal Use Only