________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
३२१ ॥ आ० ॥ ३५ ॥ तेना रुपविजय कविराजना, तेना कृष्ण नमुं करजोड ॥ वली रंगविजय रंगे करी, हुं प्रणमुं प्रणिपत कोड ॥ आ० ॥ ३६ ॥ संवत अढार सतलोतरे, नादवा मास उदार ॥ हांजी तेरस कंज. वासरे, एम नेमविजय जयकार ॥ आ० ॥३७॥ इति॥
॥ श्री सीमंधर जिन स्तवन ॥ ॥ साहिबा अजित जिणंद जुहारियें ॥ ए देशी ॥
साहिबा श्री सीमंधर साहेबा, तुम प्रभु देवाधि देव ॥ सनमुख जुओने माहरा साहिबा, साहेब मन शुद्धे करूं तुम सेव ॥ एकवार मळोने महारा साहिबा ॥ ए आंकणी ॥१॥ साहिब सुख दुःख वातो महारे अति घणी, साहिब कोण आगळ कई नाथ ॥ साहेब केवळ ज्ञानी प्रभु जो मळे, साहिब तो थाऊं हुरे सनाथ ॥ एकवार०॥२॥ साहिब भरत क्षेत्रमा हुँ अवतर्यो, साहिब ओर्छ एटबुं पुन्य ॥ साहिब ज्ञानी विरह पडयो आकरो, साहिब ज्ञान रह्यो अति न्यून ॥ एकवार० ॥ ३ ॥ साहेब दश दृष्टांते दोहिलो, साहेब उत्तम कुल सोभाग ॥ साहिब पा
२१
For Private And Personal Use Only