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३०५ मोटो मेररे ॥ मा० ॥१५॥ देवमाहें जिम इंद्र, ग्रहणमांहें जिम चंद्ररे ॥ मा०॥ बत्रीस सहस ते देश, तेमांहें पारकरदेश विशेषरे ॥ मा० ॥ १७ ॥ भूदेशरनामें नयर, तिहाँ कोइ न जाणे वेररे ॥मा०॥राज करेरे खंगार, ते तो जात तणो परमाररे ॥मा॥१८॥ तिहां वणिक करे वेपार, अपछरा सरखी नाररेमा०॥ मोटा मंदीर परधान, ते तो चौदसें बावनरे ॥मा०॥ ॥१९॥ तिहां काजलशा व्यवहारी, सहु संघमा छे अधिकारीरे ॥मा०॥ पुत्रकलत्र परिवार, जसमां नित छे दरबाररे ॥ मा० ॥ २० ॥ तेह काजलशानी बाइ, सा मेघासु कीघ सगाइरे ॥मा॥ एक दिन सालो बनेवी, बेठां वातुं करे छे एवीरे ॥ मा०॥२१॥ इहांथी द्रव्य घणो लेइ, जइ लावो वस्तु केइरे ॥ मा० ॥ गुजरातमाहें तुमे जाजो, जे माल मन आवे ते लेजोरे ॥ मा० ॥ २२॥
॥ढाल॥३॥प्रणमुंए देशी॥सा काजल कहे वात,मेघा तणी अवदात ॥सांभली सदहे ए, वलतुं एम कहे ए॥ ॥ २३ ॥ धन घणो लइ हाथ, परिवार को साथ ॥
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