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Achar
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कुण करे सुख रे ॥ हैहै ॥२॥ भुला भमेरे वाडोलीए, जिहां केवली नाहि रे ॥ विरहणीने रयणी जीसी, तेसी मुज घडी जायरे ॥ है० ॥ ३ ॥ वात मस्खे नव नवी सांभलि, पण निरति नवि थाय रे ॥ जे जे दुर्भागिया जीवडा, ते तो अवतरया आंही रे ॥ है ॥ ४ ॥ धन माहाविदेहना मानवी, जिहां जीनजी आरोग्य रे ॥ नाण दंसण चरण आदरे, संयम लीये गुरु योग रे ॥ है ॥५॥
॥ ढाल त्रीजी ॥ वैरागी थयो ॥ ए देशी
॥ मंधर स्वामी माहरारे, तुं गुरुने तुं देव ॥ तुझ विण अवर न ओलखु रे, न कहें अवरनी सेवरे ॥१॥ अहिया कणे आवजो ॥ वली चतुर विध संघरे, साथे लावज्यो ॥ ए आंकणी ॥ ते संघ किम कीरीया करे रे. किणीपेरे ध्याये ध्यान ॥वत पञ्चख्खाण किम आदरे रे, किणी परे दीये दांन रे॥ ॥ अहि० ॥ २ ॥ इहां उचित किरती घj रे, अनुकंपा लवलेस ।। अजय सुपात्र अलोप हुआ रे, एहवा जरतमा देशरे ॥ अही० ॥३॥निश्चय सरसव जेटलो
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