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२६९ सुख पामीया ॥ जीरेजी ॥ जीरे मारे सादि अनंत निवास, जन्म जरा दुःख वामीया ॥ जीरेजी ॥ ५॥ जीरे मारे द्राविड ने वारिषेण, दशकोडी मुनि परिवारशं ॥ जीरेजी ॥ जीरे मारे कार्तिक पुनम दिनसार, टुं वंदु भला भावशू, जीरेजी ॥ जीरे मारे विद्याधर मुनि दोय, नमि विनमि वखाणीये ॥जीरेजी ॥ जीरे मारे बे कोडी मुनि सजुत्त, अव्याबाध सुख पामीया ॥ ॥ जीरेजी ॥६॥ जीरे मारे सागरचंद मुनिराय; त्रण कोडि परिवारशं॥ जीरेजी ॥ जीरे मारे सोमजय अणगार, तेर कोडि भलाभावगुं॥ जीरेजी ॥ जीरे मारे दमीतारी नीसल्ल, चउद सहससुं सिद्ध थया ॥ ॥ जीरेजी ॥ जीरे मारे बाहुबली बलवंत, एक सहस आठशुं शिव गया ॥ जीरेजी ॥७॥ जीरे मारे पांडव पांच झुझार, वशि कोडि परिवारशुं ॥ जीरेजी ॥ जीरे मारे आसो पुनम दिन सार, मुक्ति वर्या भले नावसुं ॥जीरेजी ।। जीरे मारे इत्यादिक अनेक, कांकरे कांकरे सिद्ध थया ॥ जीरेजी ॥ जीरे मारे ए तीरथ आघार, कर्म खपावी मोक्षे गया ॥ जीरेजी॥८॥ जीरे मारे
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