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चल विमलगिरि ललनां, लाल हो मुक्ति निलय सिद्ध ठाम ॥ एह० ॥ शत्रुजय आदि जेहनां ललना, लाला हो उत्तम एकवीस नाम ॥ एह०॥१४॥ भवसायर तरीए जिणे ललना, लाला हो तीरथ तेह कहाय ॥ एह० ॥ कारण सकल सफल होय ललना, लाला हो आतम वीर्य सहाय, ॥ एह ॥ १५॥ कीर्तिस्थंन ए जैननो ललना, लालाहो शिवमंदिर सोपान एह. क्षमाविजय गुरुथी लही ललना, लाला हो सेवक जिनधरे ध्यान ॥ एह० ॥ १६ ॥ इति श्री सिकाचल स्तवनम् ॥
॥ अथ श्री सिद्धाचल स्तवनम् ॥ ॥जीरे मारे श्री सिद्धाचल तीर्थ, शास्वतुंप्रायः जाणीये ॥ जीरेजी ॥ जीरे मारे नाभिनरेश्वर नन्द, ऋषभ जिणंद वखाणीये ॥ जीरे जी॥ जीरे मारे पूर्वनवाणुं वार, गिरि दर्शनने आवीया ॥ जीरे जी॥ जीरे मारे आद्य आठमथी जाण, फागण सुदी मन भावीया ॥ जीरे जी ॥१॥ जीरे मारे रायण ऋषन मनोहार. ते चरणे पावन करी। जीरे जी ॥ जीरे मारे
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