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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ___ २६३ ब्यो बहार तो ॥ ते० ॥ रा० ॥ १९ ॥ मथुरा नगरी तणी सांभळो वात तो, अधिक चोर वसे ते माहि तो ॥ खातर पाडी धन लावे घj ॥ मथुरां नगरी तणो कहुं अवदात तो ॥ कुलवंती वेश्याए मांड्यो वाद तो । त० ॥ रा० ॥ २० ॥ हार पड्यो चोर झा. लीओ एक तो, ते लेई नांख्यो केरडानी पास तो ॥ शुली उपरे जो रोपीओ, पाणीनी तृषा लागी अपार तो ॥ हाथ साने जल मागीओ ॥ त०॥रा०॥२१॥ राजाने भये कोय पाणी न पायतो, जिनदास शेठे एम का, पाणी लावू त्यां लगी गणे नवकार तो ॥ तिणे समयों मनमां नवकार तो, तेह मरी थयो यक्ष कुमार तो ॥ शत्रुजयेशा निद्यत्ते करे ॥त०॥रा०॥२२॥ चारुदत्त नामे शेठनो पुत्र तो ॥ वेश्याने संगे हार्यो वित्ततो, द्रव्य उपरे उद्यम करे, अनुक्रमे आव्यो दरीआनी तीरतो ॥ काउसग्ग अणसण उचरे, सुणी नवकारने गयो देव लोक तो, देवता आवीने करे प्रणाम तो त० ॥रा० ॥ २३॥ चंद्रावती नगरी मनोहार तो, वीरधवल राजा करे राज्य तो॥बेटी मलया For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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