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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २५७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेहना आठ पुत्र वखाणो, अक्षोभ आदि कुमारा || सोल वर संजम आराधी, पाम्या भवनो पारा ॥ || भवि० || १३ || अनाधृष्टिने दारुग मुनि दोय, आत्म शक्ति समारी ॥ ऋषभ सेनादिक तीर्थकर पण, इहां वरीआ शिवनारी || भवि० || १४ || भरत वंशे राजादि घणेरा, आतम धर्मने साध्यो ॥ शुक राजन शोकागत सुणीओ, मुक्ति निलय गुण वाध्यो || भ० ॥ ॥ १५ ॥ जालि मयालिने उवयालि, देवकी खट सुत वारु | सिद्ध थया मंडुक मुनि वळी, नभतां मन होय चारु ॥ भवि० ।। १६ ।। अतीत काले सिद्धा अनंता, सीडशे वल अनंता ॥ संप्रतिकाले मोटुं तीरथ, इम भांखे भगवंता || भवि० ॥ १७ ॥ धन्य ए तीरथ मोटो महिमा, पामी पातिक जाये, क्षमाविजय जस तीरथ ध्याने, शुभ मन सिद्धि धाये ॥ मवि० ॥ १८ ॥ इति श्री सिद्धाचल स्तवन संपूर्ण ॥ || श्री सुमतिनाथ स्तवन ॥ ॥ सजनी मोरी सुमति जिनेसर सेवोरे ॥ स०॥ नरजवनो ए मेवोरे ॥ स० ॥ सारंगपुर शणगाररे ॥ स० ॥ आपे भवनो पाररे ॥ स० ॥ विनतडी अव १७ For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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