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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २५६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विनमी वे कोडि, आतम गुण निर्मल निपजाव्या, नावे एहनी जोकी ॥ भवि० ॥ ५ ॥ चैत्र वदी चौदस शिव पामी, नमि पुत्री चोसह ॥ रत्न त्रयी संपूर्ण साधी, पामी ए परमड ॥ भवि० ॥ ६ ॥ फागण सुदी तेरसे शिव पाम्या, शांब प्रद्युम्न गुण खाणी ॥ साडी आठ कोडीशुं मुनिवर, परणी शिव पटराणी ॥ भवि० ॥ ॥ ७ ॥ राम भरत त्रण कोडी मुनिशुं, अचल थया अरिहंत || छेहेला नारद लाख एकाएं, समरो मन करी संत ॥ वि० ॥ ८ ॥ एक सहसशुं थावच्यासुत, पंचसया सेलगजी || एक हजारसुं शुक परित्राजक, पाम्या पद अविचलजी ॥ भवि० ॥ ९ ॥ अतित चोवीसीना चोवीसमा प्रभु, तेहना गणधर वंदो ॥ कदबं नाम एक कोडी, सिद्ध थया सुखकंदो ॥ ॥ भवि० ॥ १० ॥ एक हजारने आठ संघाते, बाहुबलि मुनि मोटा ॥ त्रण कोडी जयराम ऋषीश्वर, सिद्ध थया नहीं खोटा ॥ भवि० ॥ ११ ॥ अंधक विष्णुपिता मा धारिणी, तेह तथा दश पुत्र || गौतम समुद्र प्रमुख शिव पाम्या, राख्युं घरनुं सूत्र ॥ भवि० ॥ १२ ॥ वळी For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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