SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 260
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४६ पनी नमुथ्थुणं कहेवू, जावंति चेईआई, जावंत केविसाह, कही नमोहत्० कहीने स्तवन कहेवू. । लावो लावोरे राज मोघां मूलां मोती ॥ ए देशी ॥ ॥ तप वर कीजेरे, अक्षय निधि अभिधाने ॥ सुखभर लीजेरे, दिन दिन चढते वाने ॥१॥ आंकणी पर्व पजुसण पर्व शिरोमणि, जे श्री पर्व कहाय ॥मास पास छट्ठ दशम दूवालस, तप पण ए दिन थाय ॥ तप० ॥२॥ पण अक्षयनिधि पर्व पजुसण, केरो कहे जिन भाण ॥ श्रावण वदी चोथे प्रारंभी, संवच्छरी प्रमाण ॥ तप० ॥३॥ ए तप करतां सर्व ऋद्धिवरे, पग पग प्रगटे निधान ॥ अनुक्रमे पामे तेह परम पद, सांबीया नाम प्रधान ॥ तप० ॥ ४ ॥ पर मच्छरथी कर्म बंधाएं, तिणे पामी दुख जाल ।। ए तप करता ते पूर्वलं, कर्म थयुं विसराल ॥ तप० ॥ ५॥ ज्ञान पूजा श्रुत देवी काउस्सग्ग, स्वस्तिक अतिशय सोहावे ॥ सोवन जडित कुंम निज शक्ति, संपूर्ण क्रमे थावे ॥ तप० ॥६॥ जघन्य मध्यम उत्कृष्टताथी करीये, इगदोय तीन वरिस ।। वरस चोथे श्रुतदेवी For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy